मोदी का खाता बही
मोदी का खाता बही मुश्किल में मीडिल क्लास, देश भी सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही, मनाना भी चाहिए ! आख़िर देश को आजादी एक लम्बे संघर्ष से मिली है, कितने ही युवाओं ने अंग्रेजी सत्ता की यातना सही, कितने ही लोगों ने अपना बलिदान दिया, गांधी-नेहरु की संघर्ष यात्रा और अंग्रेजी सल्तनत का जुर्म जानना-समझना चाहिए |लेकिन इस अमृत महोत्सन के दौरान केन्द्र की मोदी सरकार अपने 9 साल पूरे होने का जश्न मना रही है। किसी भी सत्ता के आँकलन के लिए 9 साल कम नहीं होते है। सरकार अपनी उपलब्धि गिना रही है, मंत्री से लेकर सांसद और पार्टी के कार्यकर्ता कसीदे गढ़ रहे हैं दरअसल यह सब २०२४ की तैयारी है। मोदी सरकार की उपलब्धि को लेकर कई तरह के सवाल है। इस दौर में लोगों ने नोट-बंदी भी देखा तो लॉक डाउन भी देखा | सत्ता की सवेदनहीनता भी देखी तो मास्टर स्ट्रोक भी देखा। लेकिन सत्ता का अपना चरित्र है, और जिस सत्ता का मुखिया सरेआम कहता हो कि बिजनेस उनके ख़ून में हो तो फिर इस सच को स्वीकार करना ही चाहिए कि बिजनेस का एक ही ईमान है मुनाफा' । फिर संवेदनाखाई जायेगी तो बिजनेस कैसे कोई कर पाये...