अमेरिका यात्रा: गये थे हरिभजन को वोटन लगे कपास...

 अमेरिका यात्रा: गये थे हरिभजन को वोटन लगे कपास...



बिगड़‌ती छवि को सुधारने में लगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी यात्रा ने सब कुछ चौपट कर दिया कहा जाय तो ग़लत नहीं होगा। नौ साल  में पहली बार पत्रकारवार्ता में एक सवाल हुआ,वह भी ऐसा सवाल जो पूरी दुनिया में भाजपा की करतूत को उजागर करके रख दिया और रही सही कसर मोदी सरकार के मंत्री,भाजपा नेताओं और  मुख्यमंत्री ने पूरी कर दी। और ऐसा छिछालेदर किसी प्रधानमंत्री की कभी नहीं हुई।

हालत यहां तक आ पहुँची कि व्हाईट हाउस जा पाँची  कहना पड़ा कि पत्रकारों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

दरअसल हर मामले में मुस्लिम एंगल ढूंढने वालों को जैसे ही पता चला कि सवाल पूछने वाली सबरीना सिद्धिकी है वें ऐसे पिल पड़े मानों सबरीना कोई आतंकवादी है किसानों तक को पाकिस्तानी और देशद्रोही बताने वालोँ ने सबरीना को भी पाकिस्तानी,इस्लामिस्ट बताने लगे। हालत यह  हुई कि इसकी गूँज ने अमेरिकी प्रशासन को हिला कर रख दिया और व्हाईट हाउस को कहना पड़ा कि 'सबरीना' को प्रताड़ित करने की खबर मिली है और वे किसी भी सूरत में पत्रकारों का उत्पीड़न स्वीकार नहीं कर सकते। हालांकि इस संबंध में अमेरिका की भारत सरकार से किस तरह की प्रतिक्रिया रही है यह स्पष्ट नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री ने जिस लोकतंत्र की परिभाषा दी थी, वह पूरी दुनिया की नजर में तार तार हो गया है।

भारत में मुसलमानों से भेदभाव को लेकर उठे सवालों में पत्रकारों और  सिविल सोसायटी के खिलाफ मोदी सर‌कार के रवैए का  भी था, 75 सांसदो,17 संगठनों सहित पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी सवाल उठाये थे। इसके अलावा जो बड़ी घटना हुई वह यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के परम मित्र गौतम अदानी की कंपनी की जाँच अमेरिका में शुरू हो गई। उपहार में दिए तोहफ़े भी चौकने वाले हैं।

बराक ओबामा के सवाल पर तो जब असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वाशर्मा ने कहा कि भारत में  कई हुसैन ओबामा है, तब इस जबाब से साफ़ हो जाता है कि  भाजपा  का मुसलमानों को  लेकर रवैया क्या है और इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और डिफ़ेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भी ही ओबामा की आलोचना कर दी।

कहते हैं कि पूरी दुनिया में मोदी सत्ता की छवि किसी से छिपी नहीं है संचार क्रांति के इस दौर में हर   छोटी-छोटी बातों पर दुनिया की नज़र है ऐसे में  जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि को लेकर संघ को ही चुनाव जीतने को लेकर भरोसा नहीं रह गया है तब  अमेरिका में मोदी-मोदी का इवेंट कर छवि सुधारने की कोशिश जब फ्लाप हो चुकी है, तब मोदी सत्ता का क्या होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। 

अमेरिका की इस यात्रा के दौरान भारतीय मीडिया ने भी मोदी का भरपूर साथ देते हुए हीरो बनाने की  कोशिश या छवि सुधारने का प्रयास किया था लेकिन एक सवाल ने सब गुड़-गोबर कर दिया तब यही कहा जा सकता है कि- गये थे हरिभजन को ,

वोटन लगे कपास ।।

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