अब इन बेटियों को न्याय कहाँ मिलेगा...
अभी मैं काही हाउस पहुंचकर कुर्सी मे बैठा ही था कि वह लम्बी सी तिलक लगाये मेरे बाजू में आ बैठा, अभी मैं उसे अभिवादन करता कि उसने अपना मुँह मेरे कान पर टिकाकर कहा देखा मैंने कहा था न बृजभूषण शरण सिंह
निर्दोष है, वे महिला पहलवान झूठ बोल रही है, मोदी सरकार को बदनाम करने में विपक्ष के हाथों की कठपुतली बन गई है,
मुझे लगा कि उसकी नाक लंबी हो गई है, उसकी नाक मेरे कान के ऊपर चुभने लगी। मैंने कहा अभी तो चार्ज-सीट दाखिल हुई है ऐसे कैसे क्लीन चीट दे रहे हो, उसने तपाक से कहा देख लेना न्यायालय से भी बरी हो जायेगा ।
मैं चुप रह गया कि आख़िर इसने एक हज़ार से अधिक पृष्ठों की चालान
को एक झटके में समझ लिया ! मैं कुछ कहता स्इससे पहले स्वामी बोल पड़े, कुछ मत बोलों अभी तुमने सत्ता की ताकत देखी ही कहाँ है।
समरथ को नहीं दोष गोसाई यूं ही नहीं कहा गया है। तुम्हें याद है जार्ज बनार्ड शॉ ने अपने नाटक “ऐ मैन ऑफ डस्टिनी' में अग्रेज साम्राज्यवादियों के बारे में कहलवाया है-अंग्रेज जब कोई भूमि, अपना माल बेचने के लिए किसी देश पर निगाह डालते थे तो सबसे पहले वे वहां पादरी भेजते थे।
लेकिन इससे भी कड़वा सच तो प्रसिद्ध अफ़्रीकी राष्ट्रीय नेता जोमो केन्याटा ने कहा है “गोरे पादरी हमें सभ्य बनाने भेजे गए। हमारे लोगों से उन्होंने कहा कि हम तुम्हे धर्म सिखाएंगे। उस समय बाईबिल उनके हाथ में थी और ज़मीन हमारे हाथ में। उन्होंने हमसे आँखे बंद कर प्रार्थना करवाई। प्रार्थना के बाद आँखे खोली तो देखा कि बाइबल हमारे हाथ में है और जमीन उनके हाथ में |
यह दौर हसी तरह का है, प्रदीप सेंगर, स्वामी चिन्मयानंद में वह ताकत नहीं रही होगी, हमलिए वे थोड़े-चुचपड़ के बाद धरे गए लेकिन बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी ताकत समय समय पर दिखाई है तब सवाल यह नहीं है कि बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली
पुलिस ने क्लीन चीट दी है या नहीं । सवाल तो यह है कि बृजभूषण शरण सिंह की उस सत्ता का संरक्षण है जो धर्म की वकालत करता है और यदि धर्म के आधार पर ही फैसला होना है तब धर्म के अनुसार...
महिला पहलवानो के साथ जो कुछ हुआ वह प्रारब्ध है, यानी पिछले जन्मो के कर्मों का फल । अब वे इसे चुपचाप सह लें, खामोशी से । पुर्वजन्म के कर्म की इस सजा को वे चुपचाप सह लेंगे तो अगला जन्म अच्छा होगा ?
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